Sunday 26 November 2017

दिल्ली में ‘आप’ के लिए मुश्किल नहीं होगी अगले चुनाव की जीत

दिल्ली में ‘आप’ के लिए मुश्किल नहीं होगी अगले चुनाव की जीत

----------------------------------
Delhi News Dated 26/11/17
----------------------------------
Image result for aap old pics
नई दिल्ली:  अभी यमुना में बहुत पानी बहना है लेकिन भविष्यवाणी की जा सकती है कि अगले चुनाव में आम आदमी पार्टी हो सकता है फिर से दिल्ली की सत्ता पर बैठ जाए. दिल्ली में पार्टी के पैंतरे खतरनाक हैं और वो मीडिया की उठापटक और सैटिंग्स से दूर पार्टी सीधे जनता से कनेक्ट बनाने के तरीके पर काम कर रही है.
आपको याद होगा जब आप ने अपना चुनाव घोषणा पत्र जारी किया था और दिल्ली डायलॉग कमीशन का गठन किया था तो यही कहा था. पार्टी ने कहा था कि लोगों को बड़े फ्लाईओवर से ज्यादा ऐसे शख्स की जरूरत है जो एक शिकायत पर उनकी गली का बल्व बदलवा दे और नालियों की सफाई करवा दे.
बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा की स्कीम लांच करने के बाद ज्यादातर पत्रकारों का विश्लेषण कहता है कि आप ने 2019 की तैयारी कर ली है. हमारा ये लेख प्रेस क्लब में कई लोगों की बातचीत का निचोड़ है…
पार्टी ने इसी तर्ज पर समाज के तीन तबकों को सीधे टारगेट किया है. इनमं सबसे बड़ा टारगेट हैं महिलाएं…
महिलाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए अखबारी और मीडिया राजनीति से अलग पार्टी ठोस काम कर रही है. दिल्ली के स्कूलों की हालत सुधारी जा रही है. लोगों को बच्चों पर ध्यान दिया जा रहा है और सबसे ऊपर अभिभावकों के साथ संवाद मजबूत किया गया है. पार्टी ने पहले पीटीएम की परंपरा शुरू की . इसमें लोगों को स्कूल बुलाकर पब्लिक स्कूल के स्टाइल में पीटीएम की गई. सरकारी स्कूल के बच्चों के रिपोर्ट को प्राइवेट स्कूल की तरह उनके अभिभावक से बांटा गया.
शिक्षा के ही सिलसिले में दिल्ली में पेरेन्टिंग की शिक्षा का काम शुरू हुआ. इसका सबसे बड़ा फायदा ये मिला कि पेरेन्ट्स यानी अभिभावकों को ये बताया गया कि बच्चो की परवरिश कैसे करें. ये एक तरह का मनोवैज्ञानिक कार्यक्रम है जो एक बार इसे सीखेगा हमेशा अपने बच्चों से इसको बरतेगा . जाहिर बात है सरकार को भूल नहीं सकेगा.
बुजुर्गों को भी जोड़ा.
पार्टी ने वृद्धावस्था पेंशन के अलावा दिल्ली के 70000 बुजुर्गों की मुफ्त में तीर्थयात्रा का इंतजाम किया है. हर विधानसभा क्षेत्र से 1000 बुजुर्गों को सरकारी खर्च पर तीर्थयात्रा का मौका मिलेगा. इस योजना से बुजुर्ग तो पार्टी से जुड़ ही जाएंगे. बीजेपी के हज सब्सिडी जैसे मुद्दों का मुकाबला करने में भी मदद मिलेगी.
मोहल्ला क्लीनिक की व्यवस्था ने बुजुर्ग ही नहीं पूरे परिवार को जोड़ लिया. अभी तक लोग या तो नीम हकीमोंका शिकार होते थे या उन्हें अस्पतालों के महंगे बिल चुकाने होते थे. तीसरा विकल्प था अस्पतालों की लंबी लाइनों में लगने का. मोहल्ले में एक छोटा सा क्लीनिक जिसमें एक एमबीबीएस डॉक्टर मुफ्त की दवाएं देता है और टेस्ट फ्री करता है. जाहिर बात है इसका काट आसान नहीं है.
पार्टी का मानना है कि वो मीडिया में उस तरह से प्रचार नहीं कर सकती . एक तो बीजेपी की ताकत ज्यादा है दूसरा उसका दबाव इसलिए चाहकर भी पत्रकार मीडिया में आप को जगह नहीं दे पाते हैं. दूसरा मीडिया की खबरों को लोग जल्द ही भूल जाया करते हैं. इसलिए पार्टी ने फेसबुक लाइव और इस तरह के ठोस कार्यक्रमों की शुरुआत की है. यही बात है कि उसकी जड़ें समाज में मजबूत हो रही है. 
अगला विधानसभा चुनाव 2019 में होना है और लगता नहीं है कि पार्टी के इस ब्रह्मास्त्र की कोई काट आन वाली है.

खबर स्टोर