Tuesday 30 May 2017

जीएसटी (GST) पर व्यापारियों की चिंताओं को अगली बैठक में उठाएंगे : मनीष सिसोदिया

जीएसटी (GST) पर व्यापारियों की चिंताओं को अगली बैठक में उठाएंगे : मनीष सिसोदिया



- दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने करीब 32 ट्रेड एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की
- सिसोदिया ने कहा,व्यापारियों के इनपुट आम लोगों के लिहाज से भी अहम
जीएसटी (GST) में हम जितना टैक्स रेट कम रखेंगे और इसको जितना सरल बनाएंगे,देश को उतना ही फायदा होगा। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने ये बात जीएसटी पर विभिन्न ट्रेड एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से मंगलवार को एक मुलाकात के बाद कही।
वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि दिल्ली के आम लोगों हितों और व्यापारियों की चिंताओं को वो आगामी 3 जून की जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में उठाएंगे।
उन्होंने कहा, “दिल्ली के करीब 32 ट्रेड एसोसिएशन के साथ बातचीत की है। उनसे कुछ इनपुट आए हैं जो व्यापारियों के लिए ही नहीं बल्कि आम आदमी के लिहाज से भी बहुत जरूरी हैं। देश में जीएसटी लागू होना चाहिए लेकिन ठीक से लागू किया जाना चाहिए।“
वित्त मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार, हमारी पार्टी और दिल्ली जीएसटी के समर्थक है लेकिन मैं बार-बार कहता रहा हूं कि जीएसटी के प्रॉविजन्स और प्रोसिजर्स देश के व्यापारियों और आम आदमी को ध्यान में रखकर बनाए जाने चाहिए।
विभिन्न ट्रेड एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने जीएसटी को लेकर अपने-अपने व्यापार की चिंताओं से दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया को अवगत कराया। मसलन, ऑप्टिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से बताया कि जीएसटी में चश्मों पर 18 फीसदी का टैक्स लगा दिया है और ये लग्जरी आइटम में डाल दिया गया है। आज के वक्त में नजरों की बीमारी आम बात है। ऐसे में चश्मा लोगों की जरूरत है, न कि लग्जरी आइटम।
इसी तरह, मार्बल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने बताया कि दिल्ली सरकार ने अपने बजट में मार्बल पर टैक्स घटाकर 5 फीसदी कर दिया था। लेकिन अब जीएसटी में मार्बल पर 28 फीसदी का टैक्स देना पड़ेगा जिससे लोगों को घर बनाना और किचन-बाथरूम रिपेयर कराना महंगा हो जाएगा।
वहीं, होटल इंडस्ट्री वालों ने बताया कि 1000 रुपये से ऊपर के होटल रूम पर अब लग्जरी टैक्स देना होगा।
आम आदमी पार्टी सरकार ने इस स्लैब को बढ़ाकर 1500 रुपये से ऊपर के होटल रूम पर लग्जरी टैक्स का प्रावधान किया था। होटल इंडस्ट्री के लोगों ने बताया कि थाईलैंड में होटल पर 6 फीसदी टैक्स है। इसलिए वहां पर टूरिज्म को बढ़ावा मिलता है जिससे बाकी लोगों को भी काम मिलता है लेकिन हमारे यहां अगर होटल रूम पर 28 फीसदी टैक्स देना पड़ा तो इसका सीधा असर टूरिज्म पर पड़ेगा।
उप-मुख्यमंत्री ने मनीष सिसोदिया ने कहा,व्यापारियों ने चिंता व्यक्त की है कि अगर 28 फीसदी के टैक्स स्लैब पर ज्यादातर आइटम को ले जाया जाएगा और बड़े-बड़े उद्योगपतियों के हिसाब से टैक्स लगाया जाएगा तो ‘मेक इन इंडिया’ का क्या होगा। इससे तो कुटीर उद्योग, लघु उद्योग खत्म हो जाएंगे। कहीं ऐसा ना हो कि आपका जीएसटी ‘मेन इन इंडिया’ को ना खत्म कर दे।

Source :- https://www.facebook.com/AAPDelhiNCR/?hc_ref=NEWSFEED

पंकजा मुंडे फिर विवादों में, पोषण आहार के ठेके देने में मनमानी , AAP का आरोप

महाराष्ट्र : पंकजा मुंडे फिर विवादों में, पोषण आहार के ठेके देने में मनमानी , AAP का आरोप

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आम आदमी पार्टी ने पोषण आहार बनाने के ठेके फर्जी स्व सहायता समूहों को देने का आरोप लगाया, पंकजा मुंडे ने कहा - ठेके सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार दिए गए |

बीजेपी नेता और महाराष्ट्र की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे के विभाग से जुड़े नए आरोप सामने आए हैं. आम आदमी पार्टी की सदस्य प्रीति शर्मा-मेनन ने एक संवाददाता सम्मेलन कर दावा किया है कि पंकजा ने नियम तोड़ मरोड़कर एकात्मिक बाल विकास योजना (ICDS) के तहत पोषण आहार बनाने के ठेके फर्जी स्व सहायता समूहों को दिए.

प्रीति शर्मा मेनन का आरोप है कि कुल 5439.40 करोड़ रुपये के ठेकों में से 4805.78 करोड़ रुपये के ठेके तीन ऐसे समूहों को दिए गए जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने ब्लैक लिस्ट किया है. जबकि, 633.50 करोड़ रुपये के ठेके जिन 15 समूहों को दिए गए उसमें से 12 अपात्र हैं. न्यायालय के आदेशानुसार ठेके केवल महिला संचालित स्व सहायता समूह को ही दिए जाने चाहिए. इसके बावजूद जिन्हें ठेके मिले हैं वहां महिलाओं का केवल नाम है, असली ताकत पुरुषों के हाथ में है. प्रीति शर्मा मेनन की मांग है कि ठेकों में ऐसी धांधली करने के बाद पंकजा मुंडे मंत्री पद पर बने रहने के योग्य नहीं हैं.

ज्ञात हो कि पंकजा मुंडे इस प्रकार के आरोप इससे पहले भी झेल चुकी हैं जिसे चिकी घोटाले के नाम से जाना गया है. इस बार उनका जवाब फौरन तैयार है. आम आदमी पार्टी के आरोपों के जवाब में पंकजा मुंडे कहती हैं कि ठेके सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार दिए गए हैं और यह आदेश पाने के लिए वे खुद कोर्ट में गई थीं. उनका यह भी कहना है कि इसके बावजूद अगर कहीं गलत फैसले हुए हैं तो वे उन्हें सुधार देंगी.

वैसे इस बीच आम आदमी पार्टी ने सबूत समेत दावा किया है कि ठेकों के बदले में महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष रावसाहब दानवे को 5 लाख रुपये दिए गए. आप की सदस्य प्रीति शर्मा-मेनन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोरेश्वर बचत गुट के बैंक एकाउंट की वह एंट्री दिखाई जहां आरडी दानवे के नाम से 5 लाख रुपये चेक द्वारा दिए गए हैं. इस मामले पर दानवे की तरफ से अभी तक सफाई नहीं दी गई है.

Monday 29 May 2017

पीएमओ की वेबसाइट पर PM को लिखने का आप्शन बंद पड़ा है

पीएमओ की वेबसाइट पर PM को लिखने का आप्शन बंद पड़ा है  :-
मंगलवार 30 मई 2017

जी हाँ PMO यानी मोदी के कार्यालय की वेबसाइट का एक आप्शन  ''WRITE TO THE PRIME MINISTER'' तकनीकी कारणों से  बंद पड़ा है जोकि सामान्य नागरिको को PM तक अपनी बात रखने के लिए बनाया गया था हालाँकि PGPORTAL के माध्यम से आधिकारिक शिकायत को दर्ज करवाया जा सकता है |



प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट http://www.pmindia.gov.in/en/  ''WRITE TO THE PRIME MINISTER'' पर  क्लिक  करने पर "SERVICE UNAVAILABLE" का मेसेज शो हो रहा है |


आशा है जल्द ही इसे ठीक कर दिया जाएगा , वैसे अगर आपकी कोई शिकायत है तो आप  http://pgportal.gov.in/GrievanceNew.aspx पर कर सकते है |

दो नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ''आप'' से आप के बीच

- दो नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ''आप'' से आप के बीच :-


इस बात में कोई शक नही है कि श्री योगेंद्र यादव और श्री प्रशांत भूषण, लगभग एक साल पहले ही आम आदमी पार्टी और अरविंद से किनारा कर चुके है लेकिन इन नेताओं को अन्य नेताओं की श्रेणी में नही रखा जा सकता जिसमे की विनोद कुमार बिन्नी, शाजिया इल्मी  और नये नवेले कपिल मिश्रा को रखा जाता है या फिर रखा जा सकता है |

आम आदमी पार्टी से किनारा करने वालों ने अपनी जिदंगी का मकसद सिर्फ आप को गाली देना या अरविन्द की बुराई करना ही बना लिया था और उन नेताओं को इसी बात का फायदा मिलता रहा है हमेशा जिससे कि उन्हें भाजपा में अच्छी तवज्जो मिली है |

प्रशांत ने आम आदमी पार्टी छोड़ देने के बाद अन्य दलबदलू अवसरवादी नेताओं जैसा नही किया बल्कि दोबारा से अपने प्रसिद्ध PIL तथा समाज सेवा वाले काम का रुख किया | उन्होंने बेशक एक पार्टी तथा अभियान खड़ा किया जोकि भ्रष्टाचार आदि के मामलो के संबंध में देश में अभी कुछ हद तक निचले स्तर पर कार्य कर रहा है |



इसी तरह योगेंद्र ने भी हमेसा सही को सही तथा गलत को गलत कहा है , किसानो के लिए देश भर में उन्होंने भागदौड़ की तथा देश भर के किसानों से मिले | स्वराज इंडिया पार्टी का गठन किया लेकिन कुछ गलत लोगों को शामिल कर बैठे और फिर कुछ हद तक बीजेपी का एजेंट भी कहलाए , शायद उन्हें समझ आ गया होगा कि कुछ गलत लोग भी लालच में सच्चाई के साथ जुड़ जाते है लेकिन केवल मतलब पूरा होने तक |

लेकिन अपनी नैतिकता , सच्चाई और कार्य करने की आदत को योगेन्द्र प्रशांत ने नही छोड़ा क्योंकि इन्हें पता है कि अरविंद में कमियाँ बहुत है , ''आप'' में कमिया बहुत है लेकिन देश के लिए ये कमिया नही बल्कि बहुत कुछ और अन्य है जोकि बेहद नुकसानदायक है तथा उसका विरोध करना जरूरी है |



इन दोनों नेताओं ने बीजेपी में ना जाकर अपनी इज्जत को बनाए रखा तथा इसी वजह से ये आम आदमी पार्टी के अधिकांश लोगो द्वारा समान की नजरो से देखे जाते है हालाँकि कुछ विषयों पर वैचारिक मतभेद के कारण इनकी आम आदमी पार्टी से दूरियां हुई थी |

आम आदमी पार्टी से हटने के बाद ख़ास(अन्य दल में जाना) ना बनने की बजाय ये लोग दोबारा आप के बीच आ गये (स्वराज) और यही सबसे बेहतरीन बात है इनकी |

-निजी विचार
(लेखक आप और स्वराज दोनों का समर्थक है)
  

दिल्ली के 7 सांसदों की CAR का खर्चा लाखों में-3 महीने का ??

जी हाँ - दिल्ली के 7 सांसदों की CAR का खर्चा 3 महीने का ??




ये आंकड़े दिल्ली के सात लोकसभा सीटों पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के सांसदों के संबंध में है  | ये  देख कर आपको झटका लगेगा पूरा 440 वोल्ट का इसलिए थोड़ा सावधानी से पढ़ना ये किसी की वाल से कॉपी नहीं किया गया है ये 100 प्रतिशत सच आंकड़े है की ओर साथ ही यह भी जानना जरूरी है कि हमारे माननीय सांसदों ने जनवरी 2017 से मार्च 2017 तक जो रुपए वाहन खर्च में  गंवाएं है ,हाँ ये भी हमारा टैक्स का दिया हुआ पैसा ही है | गौर करने वाली बात यह है कि इनमे से कुछ सांसदों द्वारा दिल्ली में शायद ही कोई विकास कार्य करवाया गया होगा लेकिन 3 माह में गाड़ी/परिवहन का रोज भत्ता इन्होने पूरा लिया है | शायद ही किसी सामान्य आदमी की गाडी 3 महीने में लाखों का तेल पी जाती होगी, हमारे टैक्स के पैसे का इसी प्रकार से चुने हुए माननीयो द्वारा किया जा रहा है ये भी जनता को जानना चाहिए |  

साथ में एक तरफ आम आदमी पार्टी से पंजाब के चार सांसदों का भी विवरण दिया गया है जोकि भाजपा के दिल्ली के सांसदों की तुलना में बेहद चौकाने वाला है क्योंकि आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने एक भी रुपया गाडी पर खर्च नही किया है और एक अन्य आप सांसद भी है जिनका खर्च शून्य है हालाँकि भाजपा के केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन का भी खर्च शून्य है |

सोर्स - लोकसभा की वेबसाइट से लिए गए डाटा के आधार पर 

http://164.100.47.194/Loksabha/writereaddata/members/Expenditure/Salary-Allowances.html

Saturday 27 May 2017

इलेक्ट्रोनिक व सोशल-मीडिया पर चल रहे कारनामे

*इलेक्ट्रोनिक व सोशल-मीडिया पर चल रहे कारनामे*

आजकल *व्हाट्सऐप, फेसबुक ‍ट्विटर, यूट्यूब इत्यादि के ज़रिए तरह-तरह की झूठी खबरें फैलाने और लोगों के बीच नफ़रत को बढ़ाने के लिए कैसे-कैसे कारनामे चलते हैं, आइये उन पर एक नज़र डालते हैं।*

राजनैतिक पार्टियों ने तो अपने मुताबिक़ हवा तैयार करने के लिए ख़ुद के आई.टी. सेल्स भी बना रखे हैं। आपको मालूम ही होगा कि *कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश से भाजपा के आई.टी. सेल के प्रमुख ध्रुव सक्सेना व अन्य का पाकिस्तान के ख़ुफि़या विभाग – आईएसआई से सम्बन्ध होने की ख़बरें आयी थीं। यहाँ हम इसी तरह के आई.टी. सेल्स की बात कर रहे हैं।



* आई.आई.टी. जैसे देश के उच्चतम संस्थानों में से कुछ छात्र पास होने के बाद ऐसी कम्पनियों का स्टार्ट-अप (कोई नई कम्पनी खोलना) भी शुरू कर रहे हैं जो किसी राजनैतिक पार्टी से पैसे लेकर विभिन्न तकनीकों के व्यवहार से उसके लिए प्रचार को व्यापक रूप दे। इसके लिए वे सोशल-मीडिया का काफ़ी इस्तेमाल करते हैं। किसी नेता के भाषण में आये लोगों की भीड़ को फ़ोटोशॉप द्वारा कई गुना बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना। 

किसी नेता के भाषण या पार्टी की रैलियों के वीडियो को एडिट करके और प्रभावशाली बनाके पेश करना। विरोधियों के वाक्यांश को इस तरह से काट-छाँट कर पेश करना जिससे कि वे लोगों के मन में नकारात्मक प्रभाव डाले। इनके अलावा भी बहुत तरह से वे इन कामों को अंजाम देते हैं जिसके लिए 10 से 12 लाख तक की सालाना तनख्वाह देकर वे अपनी कम्पनी के लिए एनालिस्ट के पोस्ट पर इंजीनियर्स को रखते हैं। हमारे पहचान का एक बीटेक का छात्र है जिसने ऐसी ही एक कम्पनी में इण्टर्नशिप (ट्रेनिंग) की थी। उस समय वे लोग 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के लिए काम कर रहे थे।



*इस काम में फासिस्ट ताक़तें सबसे आगे हैं।* सोशल-मीडिया और मुख्यधारा की मीडिया के भरपूर इस्तेमाल से वे आम जनमानस के दिमाग़ के साथ खिलवाड़ करने और मनचाही दिशा में उनकी सोच को मोड़ने में फिलहाल सफल हो रहे हैं। अब हम सोशल-मीडिया पर चल रहे फ़ेक (फ़र्ज़ी) न्यूज़ के कुछ उदाहरण दे रहे हैं जिन्होंने पिछले दिनों काफ़ी प्रभाव डाला:

1. कुछ दिनों पहले भारतीय सेना के दो जवानों के सर कलम कर पाकिस्तान द्वारा हत्या किये जाने की ख़बर आयी। उसके बाद सोशल-मीडिया पर ऐसे वीडियो को शेयर किया जाने लगा जिसमें खुलेआम एक व्यक्ति का सर कलम किया जा रहा था। कुछ दिनों बाद मुम्बई के पंकज जैन ने पता लगाया कि यह वीडियो 2011 का था और जिस व्यक्ति को मारा गया है वो स्पेन का एक ड्रग डीलर था। ठीक इसी प्रकार का एक और वीडियो भी आया जिसमें दिखा कि किसी आर्मी के यूनिफार्म में कुछ लोग किसी व्यक्ति के गर्दन पर कुल्हाड़ी से बार-बार वार करके सर को अलग कर देते हैं। इस वीडियो की कलई खोली अहमदाबाद के प्रतीक सिन्हा ने और बताया कि वो वीडियो ब्राज़ील का है।

2. *2000 रुपये के नोट में नैनो-चिप के होने की ख़बर को ले लीजिए। इस ख़बर को तो मुख्यधारा के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने भी बढ़-चढ़कर दिखाया। जबकि कोई भी व्यक्ति रिज़र्व बैंक ऑफ़ इण्डिया की वेबसाइट पर नये नोटों का सही विवरण साफ़-साफ़ देख सकता था जिसमें ऐसी कोई बात नहीं थी।* आम लोग इन वेबसाइट्स के बारे में नहीं जानते होंगे, लेकिन हर रोज़ काफ़ी शोध करके ख़बरों का ‘ताल ठोंक के’, ‘डीएनए’ दिखाने का दावा करने वाले देश के बड़े-बड़े तथाकथित ‘देशभक्त’ पत्रकारों ने इण्टरनेट की सारी सुविधाएँ होने के बावजूद भी क्या ये सर्च नहीं किया होगा? और तो और वे ये विस्तार से समझाने में लगे हुए थे कि सैटेलाइट से नोट का सम्पर्क कैसे होगा जिससे कि धरती के 120 मीटर भीतर भी अगर काला-धन छिपाया गया हो तो उसका पता आसानी से चल जायेगा।

3. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में पाकिस्तान जि़न्दाबाद के नारे लगाये जाने की ख़बर आयी। इसमें तो कुछ मीडिया घरानों ने हद ही कर दी। एक वीडियो क्लिप को दिखाकर ये कहे जा रहे थे कि जेएनयू में पाकिस्तान जि़न्दाबाद के नारे लगाये जा रहे हैं। लेकिन कुछ ही दिनों बाद जेएनयू के छात्रों ने एक वीडियो निकाला जिसमें उन्होंने बताया कि उस क्लिप में जो छात्र नारे लगाते दिख रहे हैं, वे असल में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हैं। इसके बाद न्यूज़ चैनलों ने अपने वाक्य बदले और कहा कि वे लोग ‘पाकिस्तान जि़न्दाबाद’ नहीं बल्कि ‘भारतीय कोर्ट जि़न्दाबाद’ के नारे लगा रहे थे। बाद में दिल्ली पुलिस ने भी जाँच के बाद कहा कि वीडियो क्लिप फ़र्ज़ी थी।
इन सबके बाद भी वहाँ के छात्रों को तरह-तरह से बदनाम करने और देशद्रोही प्रमाणित करने का सिलसिला चलता रहा। जिसके अन्तर्गत एक छात्र उमर ख़ालिद का कभी लश्करे-तैयबा से सम्बन्ध तो कभी बस्तर में नक्सलियों के साथ छुपे होने की झूठी ख़बरें दिखाई गयीं। अभी हाल में हुए नक्सल हमले में सेना के जवानों के मारे जाने पर जिस फ़ोटो को दिखाकर कहा गया कि जेएनयू में इस घटना के बाद जश्न मनाया गया, वो फ़ोटो असल में साल 2015 में छात्र यूनियन के चुनाव में जीतने की ख़ुशी मनाते समय की तस्वीर थी।




4. उत्तर प्रदेश के दादरी में मुहम्मद अख़लाक़ नामक एक व्यक्ति की भीड़ के द्वारा घर में घुसकर पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी। इसके पीछे भी व्हाट्सऐप पर भेजी गयी फ़र्ज़ी तस्वीर थी जिसमें दिखाया गया था कि वे एक गाय का क़त्ल कर रहे थे, लेकिन उस मांस के टुकड़े की फोरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद पता चला कि वो गाय का मांस नहीं था। अहमदाबाद में भी साल 2015 में एक आदमी को सोशल-मीडिया द्वारा फैलायी गयी झूठी ख़बरों के झाँसे में आकर भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था।

*मुज़फ़्फ़रनगर के भीषण दंगे भड़काने में भी भाजपा नेताओं ने झूठे वीडियो क्लिप का इस्तेमाल किया था।*

इनके अलावा भी कई सारे उदाहरण मिल जायेंगे, जैसे कि दाउद इब्राहिम की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गयी, पश्चिम बंगाल में एक हिन्दू आदमी को मुसलमानों ने मिलकर मारा, शाहरुख़ ख़ान का हाफि़ज़ सईद से सम्बन्ध इत्यादि।
इस तरह के भी मैसेज आते हैं जो अन्धविश्वास और धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देते हैं, जैसेकि :
“ये मैसेज अभी-अभी किसी फलाने धार्मिक-स्थल से आया है। इसे 20 लोगों को फॉरवर्ड करो तो आपका दिन बन जायेगा। अगर नहीं 
किया तो कोई दुर्घटना घटेगी।”

“… अगर हिन्दू के बच्चे हो तो सभी ग्रुपों में भेजो।”
“.. अगर रगों में मुसलमान का ख़ून दौड़ रहा है तो ये मैसेज आगे शेयर करो।”

बहरहाल, अब जब इतना कुछ चल रहा है तो कुछ ऐसे लोग भी दिख रहे हैं जिन्होंने सामने आकर इन फेक न्यूज़ का पर्दाफ़ाश करने का जि़म्मा लिया है और बहुत ही बेहतरीन काम कर रहे हैं। उनमें से कुछ लोगों का नाम भी ऊपर आ चुका है। इन लोगों द्वारा चलाई जा रही कुछ वेबसाइट्स के लिंक नीचे दिये जा रहे हैं।

1. बैंगलुरु में काम कर रहे शम्स ओलियाथ का ग्रुप : https://check4spam.com/
2. अहमदाबाद में काम कर रहे प्रतीक सिन्हा : https://www.altnews.in

अगर इतना काफ़ी न लगे तो और भी कई सारे उदाहरण दिये जा सकते हैं, ताकि आप ये समझ पायें कि इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया का इस तरह से इस्तेमाल क्यों हो रहा है। हमलोग साफ़ तौर पर देख सकते हैं कि इस तरह के जो भी मैसेज या ख़बरें होती हैं, उनमें कुछ चीज़ें समान नज़र आती हैं, जैसेकि लोगों में आक्रामकता, धार्मिक-कट्टरता, अन्धविश्वास जैसी चीज़ों को बढ़ावा देना जबकि विज्ञान की दुनिया में रहने वाले हम प्रगतिशील लोग ये दावा करते हैं कि ये सब तो कब के पीछे छोड़ आये हैं। लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि अगर लोग आपस में बँटे रहे और रोज़मर्रा की विभिन्न समस्याओं के बावजूद सरकार पर या व्यवस्था के मालिक – पूँजीपतियों पर अपना रोष निकालने के बजाय आपस में ही लड़ते-भिड़ते रहें तो इससे यही होगा कि इस तरह के प्रतिक्रियावादी विचार समाज के शासक वर्ग को मज़बूत करने का काम करते रहेंगे और इसीलिए आर्थिक संकट की मार झेलता पूँजीवाद, जो कि फासीवाद के रूप में आ चुका है, मीडिया का इस्तेमाल और भी गन्दे व नंगे तरीक़े से करेगा और लोगों की आवारा भीड़ के माध्यम से समाज में अपनी सोच को अंजाम देता रहेगा। ऐसे में अगर आप इस आवारा भीड़ में शामिल नहीं होना चाहते हैं तो किसी भी ख़बर या सूचना को तर्क के माध्यम से अपने पहचान के लोगों से विचार-विमर्श करके उसकी वास्तविकता को खंगालने की कोशिश करें और कोई फेक न्यूज़ का पता चलते ही ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को बतायें।


- अभिषेक c/f/fb

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