Wednesday 15 August 2018

आशुतोष ने दिया इस्तीफा, गोपाल राय जायेंगे मनाने

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Delhi News Dated 15/08/2018
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टीवी पत्रकारिता के चर्चित संपादक और एंकर की कुर्सी छोड़कर राजनीति में आए आशुतोष ने राजनीति से तौबा करने का फैसला किया है . करीब चार साल तक केजरीवाल की पार्टी के प्रमुख चेहरों में एक रहे आशुतोष ने पार्टी छोड़ दी है . इस्तीफा दे दिया है .
उधर दूसरी तरफ आप नेता , और दिल्ली प्रभारी गोपाल राय का ब्यान आया है की वे आशुतोष से मिलकर इस मामले पर बात करेंगे | जाहिर है की आम आदमी पार्टी अपने नेता को खोना नही चाहती | वहीँ सोशल मीडिया पर भी पार्टी के समर्थको ने आशुतोष से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग और गुजारिश की है |
सांसद संजय सिंह ने भी कहाज़िंदगी में एक अच्छे दोस्त, एक सच्चे इन्सान, एक भरोसेमन्द साथी के रूप में जी से मेरा रिश्ता जीवन पर्यन्त रहेगा, उनका पार्टी से अलग होना मेरे लिये एक हृदय विदारक घटना से कम नही।
कौन थे आशुतोष
जनवरी 2004 में आईबीएन सेवन ( अब न्यूज 18) के मैनेजिंग एडिटर पद से इस्तीफा देकर आशुतोष केजरीवाल की आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे . सियासी चोले में करीब साढ़े चार बिताने के बाद आशुतोष ने वापस ‘अपनी दुनिया’ में लौटने का फैसला किया है . यानी पत्रकारिता और लेखन की दुनिया में .
जानकारी के मुताबिक आशुतोष पिछले कुछ महीनों से पार्टी छोड़ने का मन बना रहे थे . उन्होंने पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल समेत बाकी नेताओं को अपनी मंशा बता भी दी थी लेकिन उन्हें मनाने की कोशिशें की जा रही थी , लेकिन अब आशुतोष और केजरीवाल के रास्ते अलग हो चुके हैं . पार्टी की तरफ से औपचारिक ऐलान कभी भी हो सकता है 
क्या था विवाद 
 कहा जा रहा है कि आशुतोष अपनी पार्टी के कामकाज और तौर-तरीकों से बेहद नाखुश थे . सालों पहले जो सोचकर वो राजनीति में आए थे , उनकी पार्टी उस सोच से उन्हें कोसों दूर होती दिखने लगी थी . आशुतोष और केजरीवाल में तल्खी की खबर तब भी आई थी , जब दिल्ली के खाते से तीन उम्मीदवारों को आप की तरफ से राज्यसभा में भेजा जाना था . अमर उजाला के मुताबिक - ‘केजरीवाल ने सुशील गुप्ता जैसे उद्योगपति को टिकट दिया था। साथ ही वह आशुतोष और संजय सिंह को राज्यसभा भेजना चाहते थे लेकिन आशुतोष ने स्पष्ट कहा कि उनका जमीर उन्हें सुशील गुप्ता के साथ राज्यसभा जाने की इजाजत नहीं देता है. चाहें उन्हें टिकट मिले या न मिले, सुशील गुप्ता को राज्यसभा नहीं भेजा जाना चाहिए . तब केजरीवाल ने उनकी जगह चार्टर्ड अकाउंटेंट एनडी गुप्ता का नामांकन करा दिया . हालांकि एनडी गुप्ता और सुशील गुप्ता दोनों ही आप के सदस्य नहीं थे . इसके बाद से ही आशुतोष राजनीति में निष्क्रिय हो गए थे . ‘ 
आशुतोष ने अभी तक अपनी तरफ कोई बयान नहीं दिया है , न ही मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा है लेकिन माना यही जा रहा है कि कई मुद्दों पर पार्टी के भटकाव से वो खिन्न थे और यही वजह उनके इस्तीफे के पीछे भी है . पहले भी केजरीवाल पर उनकी पार्टी पर ऐसे आरोप पार्टी नेताओं की तरफ से ही लगाए जा चुके हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोलकर जनता के बीच लोकप्रिय हुए केजरीवाल की पार्टी अब उन मकसदों को ताक पर रख सियासत में बने रहने के लिए कई तरह के समझौते कर रही है . उन मुद्दों से समझौते करके सियासत में टिकी रहना चाहती है , जिन मुद्दों की वजह से इस पार्टी का जन्म हुआ था . पार्टी के शीर्ष नेताओं ने सत्ता हासिल करने के लिए जिन -जिन नेताओं पर आरोप लगाए , उन सबसे माफी मांग ली . अन्ना आंदोलन से निकलकर पार्टी बनने और दिल्ली में सरकार बनाने तक के दौरान केजरीवाल और बाद के केजरीवाल में काफी फर्क आ गया .वो वैसे ही नेता बन गए , जैसे नेताओं के खिलाफ अलख जगाकर वैकल्पिक राजनीति की नींव रखने की बात कही गई थी . ऐसे ही आरोप प्रशांत भूषण , योगेन्द्र यादव और कुमार विश्वास समेत कई नेता पहले भी लगा चुके हैं . 
 टीवी न्यूज की दुनिया में अपने तेवर और अपनी आक्रामक पत्रकारिता के दम पर सालों तक धाक जमाए रखने वाले आशुतोष केजरीवाल की पार्टी ज्वाइन करने से पहले तक टीवी के चर्चित चेहरों में से एक थे . संपादक थे . एंकर थे . स्तंभ लेखक थे . धार वाले पत्रकार थे . एक दिन अचानक उन्होंने टीवी संपादक की लाखों की नौकरी छोड़कर केजरीवाल की पार्टी का हिस्सा बनने का फैसला करके सबको चौका दिया था . पार्टी ने उन्हें हाथों-हाथ लिया . उन्हें पार्टी का प्रवक्ता बनाया गया . रैलियों में उनके भाषण होने लगे . केजरीवाल के साथ हमेशा देखे जाने लगे . उसी दौरान लोकसभा चुनाव हुए और आशुतोष चांदनी चौक से आप के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे . सामने मुकाबले में बीजेपी के दिग्गज हर्षवर्धन जैसे नेता थे , फिर भी आशुतोष तो तीस लाख से ज्यादा वोट तो मिले लेकिन एक लाख से हार गए . उसके बाद भी आशुतोष पार्टी में लगातार सक्रिय रहे .
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मोदी के खिलाफ केजरीवाल की लड़ाई के सिपहसालार बने रहे . पार्टी को मौके -बेमौके अपने आक्रामक अंदाज में डिफेंड करते रहे . लोकसभा चुनाव में दिल्ली में खाता खोलने से भी महरुम रही आम आदमी पार्टी लोकसभा में शिकस्त के दस महीने बाद ही फरवरी 2015 में 67 सीटों के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो गई थी . आशुतोष लगातार पार्टी के साथ हर मोर्चे पर खड़े और लड़ते दिखे . टीवी चैनलों पर पार्टी के प्रमुख चेहरे की तरह दिखते रहे . अंदर खाने अगर कुछ मतभेद थे भी , तो कभी बाहर उजागर नहीं हुए . पिछले साल के आखिरी महीनों में जब आम आदमी पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवारों के नामों की चर्चा हो रही थी , तब भी उनका नाम लगातार चर्चा में था हालांकि अपने तौर पर हमेशा वो रेस में होने से इंकार करते रहे या पार्टी के फैसले का हवाला देकर चुप्पी साधे रहे .
आखिरी वक्त में जब उम्मीदवारों का ऐलान हुआ , तब पहली बार ये बात बाहर आई कि आशुतोष ने सुशील गुप्ता जैसे शख्स को राज्यसभा भेजे के खिलाफ पार्टी के भीतर अपनी तीखी राय रखी थी . केजरीवाल से उनके मतभेद हुए थे . उनका कहना था कि ऐसे शख्स को आम आदमी पार्टी जैसे संगठन का नुमाइंदा बनाकर राज्यसभा में भेजना गलत होगा लेकिन उनकी एक नहीं चली . हालांकि तब तक सुशील गुप्ता और संजय सिंह के साथ आशुतोष का नाम भी तय था . आशुतोष के करीबी नेता के मुताबिक आशुतोष ने सुशील गुप्ता के साथ राज्यसभा जाने पर सख्त एतराज किया और यहीं से उनकी जगह चार्टर्ड अकाउंटेंट एनडी गुप्ता की इंट्री हो गई . तीनों राज्यसभा चले गए और आशुतोष उसके बाद से करीब -करीब निष्क्रिय हो गए . इस बीच आशुतोष द क्विंट और एनडीटीवी की वेबसाइट के लिए हिन्दी और अंग्रेजी में लगातार लिखते रहे . कुछ महीनों से वो अपनी एक किताब पर भी काम कर रहे हैं . माना जा रहा है कि राजनीति से मोहभंग होने के बाद अब आशुतोष पत्रकारिता और लेखन की उसी दुनिया का हिस्सा रहना चाहते हैं , जिसे छोड़कर वो केजरीवाल के साथ चले गए थे . 

Thursday 19 July 2018

बीमार महिला को कंधे पर लेकर 40 किमी पैदल चले ITBP जवान, बचा ली जान

बीमार महिला को कंधे पर लेकर 40 किमी पैदल चले ITBP जवान, बचा ली जान

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Outer News Dated 19/07/18
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कोंडागांव। छत्तीसगढ़ के सुदूर नक्सल प्रभावित जिले कोंडागांव में एक बार फिर आटीबीपी के जवानों ने अपनी जांबाजी दिखाते हुए एक महिला की जान बचाई है। क्षेत्र का हेडली गांव सड़क मार्ग से आज भी जिला मुख्यालय से कटा हुआ है।
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कुछ दिनों से जारी भारी बारिश के चलते यहां नदी नाले उफान पर हैं। ऐसे में इस गांव की रहने वाली शेवाती यादव की तबीयत अचानक बेहद खराब हो गई। आठ दिन पूर्व महिला को प्रसव हुआ था। उसे तत्काल 40 किलोमीटर दूर स्थित जिला मुख्यालय के अस्पताल पहुंचाना था।
बारिश के चलते सड़क से गांव का संपर्क कटा हुआ था, जिसके चलते आवागमन की कोई व्यवस्था नहीं थी। इस घटना की सूचना यहां स्थापित आईटीबीपी की 41वीं बटालियन के कमांडेंट सुरिंदर खत्री को लगी। थोड़ी देर में जवान सक्रीय हो गए और तय किया गया कि एक त्वरित बचाव अभियान के तहत महिला को किसी भी स्थिति में जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जाएगा।
कंपनी कमांडर दीपक भट्ट के नेतृत्व में अभियान शुरू हुआ। स्ट्रेचर पर महिला को सुरक्षा के साथ लिटा कर उसे कंधे में ढोते हुए जवानों ने सफर शुरू किया। रास्ते में कहीं कमर तक पानी तो कहीं घुटनों तक कीचड़ पसरा था, जवान कहीं स्र्के नहीं।
आखिरकार एक लंबे सफर के बाद शेवाती को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया गया। अब शेवाती की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। आईटीबीपी के जवानों ने अपने हौसले और सकारात्मक रवैये के साथ एक महिला की जान बचा ली।
उनके इस काम की क्षेत्र में काफी तारीफ हो रही है। यह इस माह इस तरह का तीसरा अवसर है जब आईटीबीपी के जवानों ने अपने हौसले के साथ इस किसी की जान बचाई है।

मोदी के मुंह पर बोले, संजय सिंह-दिल्ली सरकार को काम करने दो !

संजय सिंह ने कहा, "मैंने प्रधानमंत्री मोदीजी से पूछा कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद भी, क्यों दिल्ली में उपराज्यपाल मनमानी कर रहे हैं?"

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Delhi News Dated 17/07/18
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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने यहां मंगलवार को सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि केंद्र दिल्ली सरकार के कार्यो में बाधा क्यों उत्पन्न करती है। सिंह ने यहां मॉनसून सत्र से पहले आयोजित सर्वदलीय बैठक में कहा, "मैंने प्रधानमंत्री मोदीजी से पूछा कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद भी, क्यों दिल्ली में उपराज्यपाल मनमानी कर रहे हैं?"

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उन्होंने कहा, "हमारा अपराध क्या है? हम केवल सभी के घरों पर राशन पहुंचाना चाहते हैं, सीसीटीवी कैमरे लगाना चाहते हैं और शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं। इसलिए हमें काम करने क्यों नहीं दिया जा रहा है।" दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संजय सिंह के समर्थन में कहा, "कम से कम, अब सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आ जाने के बाद, प्रधानमंत्री को दिल्ली सरकार को काम करने देना चाहिए।"

बैठक में गृहमंत्री राजनाथ सिह, संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार, संसदीय मामलों के राज्य मंत्री विजय गोयल, कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद, राकांपा नेता शरद पवार और भाकपा के नेता डी.राजा शामिल हुए। बैठक में, केंद्र ने संसद के दोनों सदनों के सुचारु संचालन के लिए विपक्षी दलों से समर्थन मांगा।
बैठक में AAP की तरफ से शामिल हुए राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रधानमंत्री से रूबरू होते हुए कहा कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार को काम करने नहीं दिया जा रहा है।
समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी की बातों को बहुत धैर्य से सुना। साथ ही उन्होंने आश्वासन भी दिया है कि मानसून सत्र के दौरान सभी बिन्दुओं पर संसद में चर्चा की जाएगी।
संसद का मॉनसून सत्र बुधवार से शुरू होगा और 10 अगस्त को समाप्त होगा।

Saturday 7 July 2018

जयपुर: मोदी की रैली से पहले उतरवाए गए लोगों के कपड़े, फिर भी नहीं मिली एंट्री

जयपुर: PM मोदी की रैली से पहले उतरवाए गए लोगों के काले कपड़े, फिर भी नहीं मिली एंट्री

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जयपुर News Dated 7 जुलाई
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पीएम नरेंद्र मोदी की रैली में शामिल होने आए लोगों को काले कपड़े पहनने की वजह से लौटा दिया गया. यहां आए लोग क़रीब 800 किलोमीटर का सफ़र तय करके कई घंटों के बाद जयपुर तो पहुंच तो गए लेकिन उनमें से कई लोग काली शर्ट, पैंट और टी शर्ट पहनकर आए थे, इसलिए उन्हें सभा स्थल पर जाने से रोक दिया गया.

Rajasthan: people with black cloths not given entry in PM Narendra Modi's rally
जयपुर: राजस्थान के डूंगरपुर से पीएम नरेंद्र मोदी की रैली में शामिल होने आए लोगों को काले कपड़े पहनने की वजह से लौटा दिया गया. यहां आए लोग क़रीब 800 किलोमीटर का सफ़र तय करके कई घंटों के बाद जयपुर तो पहुंच गए लेकिन उनमें से कई लोग काली शर्ट, पैंट और टी शर्ट पहनकर आए थे, इसलिए उन्हें सभा स्थल पर जाने से रोक दिया गया.

एक के काले बनियान की वजह से 60 बाहर
जयपुर से कौशल विकास योजना के 60 छात्रों को भी इसलिए सभा स्थल पर जाने से रोक दिए गया, क्योंकि इन 60 में से एक युवा ने काली बनियान पहन रखी थी. कौशल विकास योजना के जिस युवक की बनियान उतरवाई गई उसका कहना है कि इसके बाद भी उसे और उसके साथियों को एंट्री नहीं मिली.

राजे की रैली में दिखे काले झंडे से डरा प्रशासन
इसी साल राज्य की सीएम वसुंधरा राजे की झुंझुनू की एक रैली में अचानक से काले झंडे दिखाए जाने लगे. इसी के बाद प्रशासन ने ये फैसला लिया कि इस बार जब पीएम मोदी की रैली होगी तो किसी को काला कपड़ा पहनकर नहीं आने दिया जाएगा.

लोगों को इस बारे में नहीं पता
राज्य प्रशासन राज्यभर में ठीक से इसका प्रचार-प्रसार नहीं कर पाया और इसलिए लोग रैली में काले कपड़े पहनकर आ गए. इसी वजह काले कपड़े पहनकर आए लोगों को रैली में शामिल होने से पहले एंट्री गेट से ही लौटा दिया गया.

रैली स्थल से लौटाए गए एक व्यक्ति ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि उसे इसलिए वहां से लौटा दिया गया क्योंकि वो ब्लैक पैंट पहनकर वहां पहुंचा था और इसी वजह से उसे उसके साथी के साथ भगा दिया गया.

डूंगरपुर से आए एक व्यक्ति ने कहा कि उसकी काली शर्ट की वजह से उसे भी वापस लौटा दिया गया. सबने एक स्वर में कहा कि किसी ने उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी थी कि रैली में शामिल होने के लिए काले कपड़े नहीं पहनने.

15 दिनों में सभी कच्ची कॉलोनी होंगी पक्की - केजरीवाल के आदेश

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का बड़ा ऐलान, 15 दिनों के भीतर दिल्ली की सभी कच्ची और अनॉथोराइज्ड कॉलोनियों में सड़कें और नाले
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दिल्ली News Dated 7 जुलाई 18
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दिल्ली के कच्ची कॉलोनियों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दौरा, सड़कों के निर्माण में जनता ने खामियों की शिकायत की, अरविंद केजरीवाल ने अफसरों को लगाई फटकार। महिलाओं ने राशन ना मिलने की शिकायत की।


मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का बड़ा ऐलान, 15 दिनों के भीतर दिल्ली की सभी कच्ची और अनॉथोराइज्ड कॉलोनियों में सड़कें और नाले समेत बुनियादी सुविधाओं के लिए एक साथ फंड जारी करेगी दिल्ली सरकार। दिल्ली के सभी इलाकों में एक साथ शुरू होगा काम।

https://twitter.com/ashu3page/status/1015505002998054912

Thursday 28 June 2018

महिलाओं की जिंदगी नरक बनाने के हुनर में हम विश्वगुरू हैं

थॉमसन-रॉयटर्स का सर्वे कहता है भारत महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश है, इसके साथ ही हमारी हिपोक्रेसी एक बार फिर से सतह पर आ गई.
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 विशेष News Dated 29 जून 2018
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भारत औरतों के लिए दुनिया में सबसे खतरनाक देश है. थॉमसन-रॉयटर्स के इस सर्वे से कुछ लोग क्रोधित हैं, कुछ खुश हैं कि देखो हम तो पहले से ही कह रहे थे.
सच्चाई ये है कि इस देश को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक घोषित करने के लिए किसी सर्वे की जरूरत नहीं है. 2012 में निर्भया रेप के बाद देश में लगभग उसी तरीके से निर्मम रेप की घटनाओं की बाढ़ आ गयी. शायद ऐसा दुनिया में पहली बार किसी देश में हुआ कि एक तरफ कठोर क़ानून बन रहा था, दूसरी तरफ दनादन रेप हो रहे थे.
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फिर 6 महीने के बच्चों से रेप की घटनाएं सामने आने लगीं. अचानक से लगा जैसे ये फैशन बन गया है. ठीक वैसे ही जैसे इन दिनों 15 लड़कों द्वारा एक अकेली लड़की का सरे राह यौन उत्पीड़न करने वाले वीडियो का 'ट्रेंड' चल पड़ा है. फिर हर साल एनसीआरबी की रिपोर्ट आती है, तमाम और रिपोर्ट्स आती हैं जिनमें ये बताया जाता है कि इंडिया में हर लड़की अपने जीवन में कई-कई बार सेक्सुअल हैरेसमेंट की शिकार होती है.
ये दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां 'शौच के लिए जाती महिला से बलात्कार', 'शादी का झांसा देकर 5 साल तक दुष्कर्म', 'छेड़खानी से तंग आकर किशोरी फांसी लटकी', 'छेड़खानी के विरोध पर बाप-बेटी को जिन्दा जलाया' जैसी सुर्खियां बनती रहती है.
ये एकमात्र देश है जहां ऐसे पति भी हैं जो अपनी सुहागरात की वीडियो बनाकर इंटरनेट पर डालते हैं. ऐसे बॉयफ्रेंड हैं जो दोस्तों को बुलाकर गर्लफ्रेंड की अश्लील वीडियो बनवाकर नेट पर डालते हैं. सिर्फ फिजिकल होने की मंशा को भी समझा जा सकता है, पर वीडियो बनाकर उसे इंटरनेट पर फैलाना तो किसी भी समझ से परे है. इसका हासिल क्या है? नहाती भाभी के वीडियो, पेशाब करती चाची के वीडियो! ये सब वीडियो बिकते भी हैं, इनका बड़ा बजार है. जाहिर है इसके उपभोक्ता भी हमारे-आपके बीच के लोग ही हैं.
सेक्सुअल वायलेंस यानी यौन उत्पीड़न और हिंसा के इन तौर तरीकों के लिए लिए किसी रिपोर्ट को पढ़ने की जरूरत नहीं है. अपने आस-पास की माताओं, बहनों से पूछ लेना काफी रहेगा.
इसके अलावा महिलाओं पर अत्याचार से जुड़े नॉन-सेक्सुअल वायलेंस के मामले में भारत जितना रचनात्मक दुनिया में शायद ही कोई देश होगा. दहेज़ हत्या, चाइल्ड मैरिज, जबर्दस्ती मैरिज, मैरिटल रेप, नौकरी छुड़वाना, नौकरी और घर के सारे काम, शराब पीकर पत्नी से मारपीट, भाभी से छेड़छाड़ और मारपीट, घर से बाहर निकलने और चुन्नी ओढ़ने को लेकर बहनों से मारपीट, बूढी मांओं से मारपीट, जबरन धर्म परिवर्तन आदि इन घटनाओं के तरीके और हैरान कर देनेवाली डिटेल्स रोज ख़बरों में आती हैं. इससे भी खतरनाक है यहां तलाक नहीं होते, आमतौर पर पति-पत्नी का अलगाव हत्या के माध्यम से होता है.
अगर हम वर्कप्लेस की बात करें तो ऑफिस वाली नौकरियों का हाल औरतों के चेहरे देख कर बताया जा सकता है. हालांकि इसकी एक और कड़वी सच्चाई ये है कि ज्यादातर औरतें ऑफिसों में नहीं बल्कि खेतों, बागानों, फैक्टरियों, घरों में खटती हैं. छह महीने का पेट लिए सर पर ईंट ढोती औरतें किसने नहीं देखा है अपने जीवन में? घर के सारे काम कर, एक शराबी से मार खा कर खेतों में काम करना और हर रात रेप के लिए तैयार रहना, हर साल बच्चा जनना या गिराना, 12-12 डिलीवरी, यही नियति है इंडिया की ज्यादातर औरतों की? आज साल 2018 में, सूचना क्रांति के बाद, सुपरपॉवर के तमाम दावों के बीच कितने गांव की औरतें हॉस्पिटल जाती हैं? आज भी बच्चा घर पर ही पैदा होता है. भैंसों का इलाज होता है हॉस्पिटल में, औरत का नहीं.
लिहाजा ऐसे किसी सर्वे में नंबर-एक आना आहत होनेवाली बात नहीं है. ये एकमात्र देश है जहां छेड़खानी तो होती ही है, रिपोर्ट लिखाने पर पुलिस, कोर्ट में जाने पर जज, ऑफिस में बताने पर बॉस, घर में बताने पर जीजा और मुंहबोले भाई सब पीछे पड़ जाते हैं.
भारत में सिर्फ ख़तरा ही नहीं है, बल्कि इस ख़तरे में रचनात्मकता भी है, जिसके नाते नंबर एक खतरनाक देश घोषित किया जाना तो छोटी बात है. जिंदा हाड़-मांस की औरतों की जिंदगी नरक बनाने के तरीकों में हमलोग विश्वगुरु हैं.
अगर वाकई में इस नंबर एक का तमगा किसी को आहत कर रहा है तो वो अपने खुद के जीवन में बदलाव लाये, नाराज़ क्या होना इस छोटी सी बात पर. बड़ी बातें तो हमारे सामने हर रोज़ हो रही हैं.

Saturday 19 May 2018

AAP नेता सोनी सोरी को मिला अंतराष्ट्रीय मानव अधिकार सम्मान

AAP नेता सोनी सोरी को मिला अंतराष्ट्रीय मानव अधिकार सम्मान

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36garh News Dated 18/05/2018
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व‍र्ष 2018 का ‘फ्रंट लाइन डिफेंडर्स अवार्ड फॉर ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स ऐट रिस्क’ (Front Line Defenders Award for Human Rights Defenders at Risk) का पुरस्कार प्राप्त करने वाले पाँच अंतर्राष्ट्रीय प्राप्तकर्ताओ के नामों की सूची में भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी का नाम शामिल किया गया है.
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Chattisgarh राज्य के आदिवासी समुदाय को न्याय दिलाने के लिए जोखिम भरे संघर्ष के लिए उन्हें यह सम्मान दिया जा रहा है.
इसी श्रंखला में 2018 के अन्य विजेता है:
  • नुर्कन बेसल (टर्की),
  • लूचा (LUCHA) आन्दोलन(कोंगो का लोकतंत्रात्मक गणराज्य),
  • ला रेसिस्तेंचिया पसिफिचा दे ला मिक्रोरेगिओं दे इक्वेसिस (La Resistencia Pacífica de la Microregión de Ixquisis) (ग्वाटेमाला),
  • और हस्सन बौरास (अल्जीरिया).
विजेताओं के नामों की घोषणा करते हुए, फ्रंट लाइन डिफेंडर्स के कार्यकारी निर्देशक एंड्रू एंडरसन ने कहा,
“आज जिन मानवाधिकार रक्षकों का सम्मान हम कर रहे है, ये वो लोग है जो विश्व के सबसे खतरनाक जगहों पर कार्य करते है. अपने-अपने समुदायों के लिए शांतिपूर्ण ढंग से न्याय और मानवाधिकार की मांग करने हेतु स्वयं की परवाह किये बिना इन्होंने कई बलिदान किये है.”
सन 2005 से ‘फ्रंट लाइन डिफेंडर्स अवार्ड फॉर ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स ऐट रिस्क’ पुरस्कार हर साल उन मानवाधिकार रक्षकों को दिया जाता रहा है, जिन्होंने खुद को जोखिम में डाल कर भी अपने समुदाय के व्यक्तिओं के अधिकारों की सुरक्षा और बढ़ावे के लिए अदम्य योगदान दिया है.
ऐतिहासिक तौर पर यह AWARD सिर्फ एक रक्षक या किसी एक आन्दोलन को दिया जाता था.
2018 के ‘फ्रंट लाइन डिफेंडर्स अवार्ड फॉर ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स ऐट रिस्क’ पुरूस्कार की ख़ास बात यह है कि पहली बार पांच अलग-अलग देशो के पांच मानवाधिकार रक्षकों को क्षेत्रीय विजेताओ के रूप में मान्यता दी गई है.
2018 के इन पांच पुरस्कार विजेताओं व उनके परिवारों को विभिन्न तरीके के हमलों का, मानहानि, कानूनन उत्पीड़न, मृत्यु की धमकी, कारावास और अभित्रास आदि का सामना करना पड़ा है.
सोनी सोरी एक आदिवासी कार्यकर्ता है साथ ही वह नारी अधिकारों की रक्षक है,जो छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर इलाके में काम करती है.यहाँ वह और उनके सहकर्मी, अर्धसैनिक दल और पुलिस द्वारा हिंसा को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों के खिलाफ वकालत करते है.
उन्होंने भारत के सुदूर और दुर्गम क्षेत्रो में राज्य-प्रायोजित दुर्व्यवहार जैसे- घर जलाना, बलात्कार और बिना वजह आदिवासिओ को यातना देना और उनका यौन-शोषण करना आदि के विरोध में संलेख पत्र तैयार किये और इन गतिविधियों के खिलाफ संघर्ष किया है.
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उन्होंने कई शैक्षणिक संस्थाओ को माओवादी संगठनो से होने वाली हानि से भी बचाया है.
सुरक्षा दलों ने उनके इन कार्यों के प्रतिशोध में, सोनी को हिरासत में बंद कर कई तरह की अमानवीय यातनायें दी और उनके शरीर में पत्थर डाल कर घंटो तक यंत्रणा दी. उसने दो सालो से ज्यादा कारावास में बिताये है.
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कुछ सालों बाद कुछ लोगो ने उनके चेहरे पर रसायन डाला जिससे उसकी चहरे की चमड़ी जल गई.इतना ही नहीं, उन्हें धमकी दी गई कि अगर उन्होंने सुरक्षा बलो द्वारा किये गए बलात्कारों के खिलाफ वकालत करनी नहीं छोडी, तो उनकी बेटियों का भी ऐसा ही हश्र होगा.
किन्तु उन्होंने अपने कार्य के प्रति अडिगता दिखाते हुए काम बंद करने से इंकार किया है और आज भी वह धमकी, अभित्रास और बदनामी के बावजूद उन खतरनाक संघर्ष क्षेत्रो में जाकर उत्तरजीवीओ (संघर्षो में जीवन यापन करने वालों) से बातचित करती है.
एंड्रू एंडरसन कहते है, “जैसे ही सरकार और व्यपारसंधी मानवाधिकार रक्षकों को बदनाम कर उनका विरोध जताना शुरू करते है और उनके शांतिमय काम को गैरकानूनी घोषित करते है,
वैसे ही विश्व भर से सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा एकमतता से स्वीकार किया गया कि अंतर्राष्ट्रीय पहचान और सम्मान इस तरह के कार्य के लिए एक महत्वपूर्ण संरक्षण के तौर पे ज़रूरी कदम है.”
वे आगे कहते है, “यह पुरूस्कार इस बात का साक्षी है कि इन रक्षकों को अन्तराष्ट्रीय समुदायों का पूर्ण समर्थन है और उनका बलिदान नज़रंदाज़ नहीं हुआ है.हम उनके अदम्य साहस की सराहना करते हुए उनके साथ अटल विश्वास के साथ खड़े है.”

अश्लील एकाउंट्स को फॉलो करते है बीजेपी सांसद उदित राज

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Delhi News Dated  18/05/2018
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बीजेपी के संसद सदस्य DELHI NW- लोकसभा , उदित राज अपनी ही पार्टी के बड़े बड़े महिला सम्मान के नारो की हकीकत ब्यान कर रहे है देखिये कैसे माननीय उदित राज एमपी साहब के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से अश्लील एकाउंट्स को फॉलो किया जा रहा |



एक जनप्रतिनिधि के लिए ये बिलकुल अशोभनीय कृत्य है, हो सकता है फोल्लोवेर्स बढ़ाने की जहद में एमपी साहब अपने ट्विटर चलाने वाले को ये नसीहत देना भूल गए हो की यहाँ भी सभ्यता और शालीनता जरूरी है |

Friday 27 April 2018

कठुआ रेप केस : सांझी राम ने कबूला मासूम बच्ची की हत्या का जुर्म

कठुआ रेप केस के आरोपी ने जुर्म कबूला, इसलिए की थी बच्ची की हत्या...

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Jammu News Dated 27/04/2018
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कठुआ में आठ साल की बच्ची से बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. मामले की जांच में जुटी पुलिस ने कहा है कि आरोपियों में से एक सांझी राम ने हत्या की बात कबूल ली है.

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नई दिल्ली: कठुआ में आठ साल की बच्ची से बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. मामले की जांच में जुटी पुलिस ने कहा है कि आरोपियों में से एक सांझी राम ने हत्या की बात कबूल ली है. पूछताछ के दौरान उसने बताया कि उसे बच्ची के अपहरण के चार दिनों बाद बलात्कार की बात पता चली और बलात्कार में अपने बेटे के भी शामिल होने का पता चला. इसके बाद उसने बच्ची की हत्या करने का निर्णय लिया. 

गुस्से में उसे पीट दिया

जांचकर्ताओं ने बताया कि 10 जनवरी को अपह्रत बच्ची से उसी दिन सबसे पहले सांझी राम के नाबालिग भतीजे ने बलात्कार किया था. सांझी राम को इस घटना की जानकारी 13 जनवरी को मिली जब उसके भतीजे ने अपना गुनाह कबूल किया. सांझी राम ने जांचकर्ताओं को बताया कि उसने ‘देवीस्थान ’में पूजा की और अपने भतीजे को घर प्रसाद ले जाने को कहा, लेकिन वह देर करता रहा. इसके गुस्से में उसे पीट दिया. पिटने के बाद नाबालिग ने सोचा कि शायद उसके चाचा को लड़की से रेप करने की बात पता चल गई है और उसने खुद ही सारी बात कबूल कर ली. नाबालिग ने अपने चचेरे भाई विशाल ( सांझी राम का बेटा ) को भी इस मामले में फंसाया और कहा कि दोनों ने मंदिर के अंदर बच्ची से बलात्कार किया. यह जानने के बाद सांझी राम ने तय किया कि बच्ची को मार दिया जाना चाहिए, जिससे वह अपने बेटे तक पहुंचने वाले हर सुराग को मिटा सके. साथ ही घूमंतु समुदाय को भगाने के अपने मकसद को भी हासिल कर सके.

सांझी राम ने बच्ची की हत्या कर दी
इसके बाद 14 जनवरी को सांझी राम ने बच्ची की हत्या कर दी. हालांकि इसके बाद चीजें योजना के मुताबिक नहीं हुईं. वह बच्ची को मारने के बाद उसे हीरानगर नहर में फेंकना चाहता था, लेकिन वाहन का इंतजाम नहीं होने के कारण उसे उसी‘देवीस्थान ’ में वापस ले आया जिसका सांझी राम सेवादार था. बाद में बच्ची का शव 17 जनवरी को जंगल से बरामद हुआ था. जांचकर्ताओं ने बताया कि सांझी राम ने अपने भतीजे को जुर्म स्वीकार करने के लिए तैयार कर लिया था, लेकिन बेटे विशाल को इससे दूर रखा और उसे आश्वासन दिया था कि उसे रिमांड होम से जल्द बाहर निकाल लेगा. गौरतलब है कि इस मामले में नाबालिग के अलावा सांझी राम , उसके बेटे विशाल और पांच अन्य को आरोपी बनाया गया है। जांचकर्ताओं ने पीटीआई - भाषा को बताया कि बच्ची को हिंदू वर्चस्व वाले इलाके से घुमंतू समुदाय के लोगों को डराने और हटाने के लिए यह पूरी साजिश रची गई. दूसरी तरफ, सांझी राम के वकील अंकुर शर्मा ने जांचकर्ताओं द्वारा किए जा रहे घटना के इस वर्णन पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया और कहा कि वह अपनी बचाव रणनीति नहीं बता सकते. 

Friday 30 March 2018

Kejriwal की रैली में 350₹ देकर भीड़ लाने का असली सच

केजरीवाल की रैली में 350₹ देकर भीड़ लाने का असली सच

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Haryana News Dated 30/03/2018
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“आप” को बदनाम करने के लिए  Arvind Kejriwal की “हरियाणा बचाओ रैली” में आए गरीबों से जबरदस्ती दिलवाया गया 350 रूपये की दिहाड़ी वाला झूठा बयान।  आम आदमी पार्टी पर 350₹ लेकर हरियाणा बचाओ रैली में लोग लाने की साजिश रचने वालों का असली चेहरा, आप के कार्यकर्ता जब खरीदे नहीं गए तो अपनी नौकरी की दुहाई देकर झूठ बुलवाकर, वीडियो बनवाई गई !!  मीडिया और विपक्ष द्वारा फैलाया गया झूठ हुआ बेनकाब |
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केजरीवाल की हिसार रैली में भीड़ से डरी BJP, तो फैलवाया झूठ



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Friday 2 March 2018

Sealing : AAP ने किया बहिष्कार, बीजेपी ने मनाई जमके होली

सीलिंग के वजह से आम आदमी पार्टी ने नही मनाई होली, उधर बीजेपी ने जमकर मनाई होली 
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दिल्ली News Dated  02/03/18
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Sealing के मुद्दे पर AAP ने किया होली का बहिष्कार, बीजेपी ने मनाई जमके होली भूल गये व्यापारियों का दुःख | दिल्ली में सीलिंग के चलते हजारो व्यापारी सडक पर आ गये थे |

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष 

नेता प्रतिपक्ष दिल्ली 


दिल्ली भाजपा 



वही दिल्ली के मुख्यमंत्री का घर सुना पड़ा रहा |

Wednesday 28 February 2018

चुनाव आयोग की बैठक की मिनटस उपलब्ध नही, जिसमे लिया था AAP MLA’s अयोग्य फैसला : RTI

चुनाव आयोग की बैठक की मिनटस उपलब्ध नही, जिसमे लिया था AAP MLA’s अयोग्य फैसला : RTI

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Delhi News Dated 01/03/2018
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जिस दिन चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को आप विधायकों को Office of Profit के चलते अयोग्य करार देने की सिफारिश भेजी उस दिन की बैठक की मिनट्स ही उपलब्ध नहीं है ।
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एक नागरिक द्वारा RTI अर्जी के बाद ये खुलासा हुआ है कि चुनाव आयोग की उस बैठक की मिनटस उपलब्ध नही, जिसमे लिया था AAP MLA’s अयोग्य फैसला | आवेदक ने अपने आवेदन में 19/01/18 के दिन हुई चुनाव आयोग की बैठक की मिनट्स तथा उस दिन लिए गये फैसलों की सूची को माँगा था , इसके संबंध में चुनाव आयोग ने   स्पष्ट किया कई कोई मिनट्स व् सूची उपलब्ध नही है |
 RTI की कॉपी –
RTI APPLICATION – 


Thursday 22 February 2018

Rajasthan: प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय की लापरवाही से चयनित बेरोजगार परेशान

Rajasthan: शिक्षा निदेशालय की लापरवाही से चयनित बेरोजगार परेशान, RTET Result Date का Issue

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Rajasthan News Dated 22/02/2018
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राजस्थान के प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर ने गत माह 25 जनवरी 2018 को वर्ष 2016 से लंबित तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती( 3rd GRADE Teachers Recruitment 2016) का परिणाम जारी किया था, जिसके बाद जिला परिषदों ने दस्तावेजों का सत्यापन किया | 
भर्ती पिछले 2 साल से सरकार के विभिन्न विभागों के आंतरिक कार्यो तथा लापरवाही के चलते लंबित थी |

शिक्षा निदेशालय की लापरवाही से चयनित बेरोजगार परेशान, RTET परिणाम तिथि का मामला
परिणाम घोषणा के बाद जिला परिषदों में दस्तावेज सत्यापन के दौरान कई अभ्यर्थियों को RTET बी.एड/STC से पहले उत्तीर्ण होने के कारण अपात्र घोषित कर दिया गया जिसके लिए शिक्षा निदेशालय के नियमो का हवाला दिया गया है, वहीं अभ्यर्थियों का कहना है कि मूल भर्ती विज्ञापन में ऐसी कोई शर्त नही थी, बाद में इस नियम को शामिल किया गया है जोकि पूर्णत अनुचित है |
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फर्स्ट खबर को प्राप्त जानकारी के अनुसार अभ्यर्थी इस मामले को लेकर न्यायालय का रुख भी कर चुके है, और माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने अभ्यर्थियों के हित में फैसले देते हुए कहा था कि सरकार/निदेशालय कि ये शर्त पूर्णत अवैध है तथा निदेशालय को आदेश भी दिया था कि निदेशालय बीकानेर ऐसे अभ्यर्थियों के हित में फैसला ले |
REET बोर्ड ने RTI  में माना, लेकिन शिक्षा निदेशालय कोर्ट की भी नही सुन रहा 
इसी भर्ती के एक चयनित अभ्यर्थी का कहना है कि REET बोर्ड से सूचना का अधिकार के माध्यम से पूछा गया कि RTET 2011 के परिणाम कि कोनसी तिथि मान्य होगी क्योंकि वर्ष 2011 RTET परीक्षा का परिणाम दोबारा जारी किया गया था, बोर्ड ने अपने जवाब में कहा है कि – भर्ती तथा नियोक्ता एजेंसी दोनों के लिए संशोधित तिथि ही मान्य होगी तथा पूर्व कि तिथि को निरस्त माना जायेगा |
अभ्यर्थी ने बताया कि उसने RTI कि प्रति कई बार शिक्षा निदेशालय को डाक द्वारा व खुद जाकर प्रार्थना सहित प्रस्तुत की है लेकिन कोई नही फायदा नही हुआ, अभ्यर्थी ने यह भी बताया कि उसने माननीय न्यायालय में याचिका लगाई और हित में फैसला आने के बावजूद भी शिक्षा निदेशालय ने आदेश जारी नही किये जिसके चलते जिला परिषद ने अपात्र घोषित कर दिया |
आखिर गलती किसकी , सरकार या छात्र
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अब सोचना यह चाहिए कि ये तिथि का मामला आखिर बनता कैसे है, और गलती किसकी है |
  • बी.एड APPEARING छात्रो को RTET के परीक्षा में बैठने कि अनुमति सरकार ने ही दी थी तो फिर अभ्यर्थियों के गलती कैसे |
  • जब बोर्ड ने RTET-11 को परिणाम ही नये सिरे से घोषित किया तो पुराणी तिथि कैसे मान्य ?
  • अगर बोर्ड के RTET- 11 के संशोधित परिणाम कि तिथि मान्य नही तो इसी तर्क से भर्ती का संशोधित विज्ञापन और उसकी नई शर्ते कैसे मान्य ?
  • RTI से प्राप्त सूचना के बाद भी शिक्षा निदेशालय क्यों नही निर्देश कर रहा ?
  • क्या सरकार के बाबुओं कि गलती छात्र ही भुगतेंगे

Source - First Khabar News

Monday 22 January 2018

27 आप MLA’s पर नही चलेगा लाभ का पद मामला, EC ने किया साफ़

दिल्ली के अस्पतालों में रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन और सदस्य का पद लाभ का पद नहीं, राष्ट्रपति के आदेश में चुनाव आयोग ने अपनी सिफारिश में किया इसका जिक्र।
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Delhi News Dated 22/01/2018
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रोगी कल्याण समिति के अधिकार
  • अस्थाई कर्मचारियों की भर्ती का अधिकार (इसमें डॉक्टर भी शामिल है)
  • दो लाख रुपये तक के निर्माण कार्य का काम समिति अध्यक्ष की मंजूरी से.
  • अस्पताल परिसर में दुकान किराए या लीज पर देने का अधिकार जिसकी कमाई समिति के पास आती है.
दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक 
  1. लाभ के पद के दायरे में रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष का पद नहीं आता.
  2. दिल्ली विधायक अयोग्यता निवारण कानून 1997 में इस पद को लाभ के पद के दायरे बाहर किया गया है.
  3. पॉइंट 11 में जो हॉस्पिटल एडवाइजरी कमिटी है उसको 2009 में शीला दीक्षित ने नाम बदलकर रोगी कल्याण समिति कर दिया था.
  4. पॉइंट 14 के मुताबिक सरकार की बनाई किसी भी सोसाइटी के अध्यक्ष का पद लाभ के पद के दायरे से बाहर होगा (रोगी कल्याण समिति भी एक सोसाइटी है).
क्या है पूरा मामला?
दरअसल कानून के एक विद्यार्थी विभोर आनंद ने चुनाव आयोग को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि 27 आप विधायक रोगी कल्याण समिति में अध्यक्ष के पद पर होने के नाते लाभ के पद पर हैं लिहाजा इनकी विधायकी रद्द की जाए।शिकायत में कहा गया है कि रोगी कल्याण समिति के  में विधायक सदस्य के तौर पर तो हो सकता है लेकिन अध्यक्ष के पद पर नहीं।
आप के 27 विधायक रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष और सदस्य थे। इन पर कथित ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का आरोप था जोकि दिल्ली के एक वकील/नागरिक द्वारा लगाया गया था लेकिन अब चुनाव आयोग ने अपनी सिफारिश में साफ़ किया है कि रोगी कल्याण समिति में चेयरमैन/ वाईस चेयरमैन का पद पहले से ही लाभ का पद से बाहर है |
कौन हैं ये 27 विधायक
  1. अल्का लाम्बा- चांदनी चौक
  2. शिव चरण गोयल- मोती नगर
  3. बन्दना कुमारी- शालीमार बाग
  4. अजेश यादव- बादली
  5. जगदीप सिंह- हरी नगर
  6. एस के बग्गा- कृष्णा नगर
  7. जीतेन्द्र सिंह तोमर- त्री नगर
  8. राजेश ऋषि- जनकपुरी
  9. राजेश गुप्ता- वज़ीरपुर
  10. राम निवास गोयल- शाहदरा
  11. विशेष रवि- करोल बाग
  12. जरनैल सिंह- तिलक नगर
  13. नरेश यादव- मेहरौली
  14. नितिन त्यागी- लक्ष्मी नगर
  15. वेद प्रकाश- बवाना
  16. सोमनाथ भारती- मालवीय नगर
  17. पंकज पुष्कर- तिमारपुर
  18. राजेंद्र पाल गौतम- सीमापुरी
  19. कैलाश गहलोत- नजफ़गढ़
  20. हज़ारी लाल चौहान- पटेल नगर
  21. शरद चौहान- नरेला
  22. मदन लाल- कस्तूरबा नगर
  23. राखी बिड़लान- मंगोलपुरी
  24. मोहम्मद इशराक- सीलमपुर
  25. अनिल कुमार बाजपाई- गांधी नगर
  26. कमांडो सुरेंद्र- दिल्ली कैंट
  27. महेंद्र गोयल- रिठाला
ख़ास बात ये है कि इन 27 विधायकों में 10 विधायक ऐसे है जो पहले से संसदीय सचिव बनाये जाने पर लाभ के पद के आरोप में विधायकी जाने का खतरा झेल रहे हैं
पढिये आदेश के कॉपी :-

Sunday 21 January 2018

2 साल से लोकपाल पर मुहर नही लगाई लेकिन मात्र 24 घंटे में MLA अयोग्य

लाखों लोगो के फायदे का फैसला दो साल से रुका पड़ा है, लेकिन मात्र 24 घंटे में MLA योग्य 
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दिल्ली News Dated 21/01/18
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राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की भेजी गयी अनुशंसा पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ का पद मामले में अयोग्य घोषित कर दिया है , इतना ही नही इतवार होने के बावजूद राजपत्र तक जारी करवा दिया है |


भारत में राष्ट्रपति केंद्र के इशारों से कार्य करता है और केंद्र की ही सलाह मानता है यानी ये पद केवल एक मुहर नुमा पद है | लेकिन कल ही चुनाव आयोग द्वारा भेजी सिफारिश पर 24 घंटे के भीतर ही मान्य कर देना किसी भी प्रकार से न्यायोचित प्रतीत नही हो रहा है |

कुछ ऐसे बिंदु जो न्याय-अन्याय को स्पष्ट करते है :- पढिये 

1. विधायकों ने पैसा नही लिया, गाडी नही ली, बंगला नही लिया लेकिन फिर भी लाभ का पद माना गया |
2. दिल्ली सरकार ने नियुक्ति बिना LG की मंजूरी के की, यानी ये अवैध थी, तो फिर कैसा केस ??
3. दिल्ली विधानसभा ने पूर्व तिथि से मान्य होने वाला बिल पास करके LG को भेजा जोकि राष्ट्रपति को भेजा गया लेकिन उसको एक साल बाद वापिस कर दिया गया, जबकि शीला दीक्षित सरकार में ये सब आसानी से पास कर दिया गया |
4. हाई कोर्ट ने भी नियुक्ति खारिज की और कहा कि ऐसा पद है ही नही, फिर किस बात का केस ?
5. चुनाव आयोग ने इस बात की सुनवाई की, कि क्या केस चलाया जाए या नही ??
6. वास्तव केस की कोई सुनवाई अभी तक नही हुई |
7. जून 2017 के बाद से विधायकों को सुनवाई के लिए नही बुलाया गया |
8. कार्यकाल समाप्ति से एक दिन( कार्यदिवस) पहले चुनाव आयुक्त श्री जोती ने सिफारिश कर दी |
9. विधायक दिल्ली हाई कोर्ट गए, तो वहां चुनाव आयोग के वकील ने कहा की जानकारी नही है और कोर्ट को गुमराह भी किया ताकि अंतरिम राहत ना मिल सके |
9. मात्र 24 घंटे में राष्ट्रपति ने सिफारिश मान भी ली |



चुनाव आयोग का विधायकों को दिया आखिरी आदेश |


जबकि दिल्ली सरकार के बहुत से महत्वपूर्ण जनहित कानून बिल 2 साल से राष्ट्रपति के पास लम्बित है -

जैसे - लोकपाल बिल , सिटीजन चार्टर बिल आदि

''जिस विधानसभा और सरकार के 20 विधायकों के निलंबन की सिफारिश को महज़ 2 दिन में राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी, उसी सरकार और विधानसभा के लोकपाल जैसे कई सारे अहम कानून राष्ट्रपति के पास 20 महीने से लंबित है।''


भाजपा के नेता यशवंत सिन्हा ने भी बताया न्याय के खिलाफ




बिना लाभ का हानि वाला पद

संविधान के जानकार और पूर्व लोकसभा सचिव PDT आचार्य ने भी कहा है बहुत कुछ कहा है , पढिये उनका पत्र एक चैनल के नाम -




कैसे ये मामला वास्तव में होने वाले लाभ का नही है 

 

क्या था नियुक्ति का आदेश !!



क्या कहा केजरीवाल ने ???

ऊपर वाले ने 67 सीट कुछ सोच कर ही दी थी। हर क़दम पर ऊपर वाला आम आदमी पार्टी के साथ है, नहीं तो हमारी औक़ात ही क्या थी। बस सच्चाई का मार्ग मत छोड़ना। - अरविन्द केजरीवाल

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