1 जनवरी 2019 से फिर बढ़ेगा मेट्रो का किराया
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नई दिल्ली
किराया बढ़ाने से भले ही दिल्ली मेट्रो की राइडरशिप घटी हो लेकिन अगली बार फेयर कब बढ़ेगा, इसकी तारीख आ गई है। एक जनवरी 2019 से मेट्रो का किराया एक बार फिर बढ़ जाएगा। हालांकि इसमें अभी एक साल से ज्यादा का समय है। मेट्रो किराया बढ़ाने के लिए सिफारिश करने वाली कमिटी की रिपोर्ट में साफ किया गया है कि अब हर साल किराए में बढ़ोतरी की जाएगी। यह भी कहा गया है कि किराए में यह बढ़ोतरी लगभग सात फीसदी की हो सकती है।
हाल ही में मेट्रो किराए में बढ़ोतरी, किराया निर्धारण कमिटी की सिफारिश पर की गई है। इस कमिटी की रिपोर्ट अब सार्वजनिक हुई है। इसमें कहा गया है कि हर साल किराए में बढ़ोतरी की जाए। जब तक फिर से किराया निर्धारण कमिटी का गठन नहीं किया जाता, तब तक हर साल ऑटोमैटिक तरीके से किराया बढ़ाया जाए। यानी अब दिल्ली मेट्रो को किराया बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से कमिटी गठित करने का अनुरोध नहीं करना पड़ेगा।
मेट्रो के घाटे का विलन डेप्रिसिएशन
केंद्र सरकार और दिल्ली मेट्रो की ओर से बार-बार किराया बढ़ाने के लिए जाइका (जापान) से लिए गए लोन को चुकाने का हवाला दिया जा रहा है। जबकि असलियत यह है कि मेट्रो के घाटे का सबसे बड़ा विलन डेप्रसिएशन लागत है। मसलन, अगर पिछले वित्तीय साल में मेट्रो की आमदनी और खर्चे को देखें तो दिल्ली मेट्रो को जाइका के लोन और उस पर ब्याज की किस्त चुकाने के बावजूद घाटा महज सात करोड़ रुपये सालाना था, लेकिन उसके साथ ही डेप्रिसिएशन लागत के रूप में 1685 करोड़ रुपये जोड़ दिए गए। इसी तरह इस वित्तीय साल के लिए डेप्रिसिएशन लागत 2460 करोड़ रुपये आंकी गई है, जबकि उसके बाद हर साल इसी मद में तीन हजार 29 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया गया है।
क्या है डेप्रिसिएशन कॉस्ट
मेट्रो से जुड़े जानकारों का कहना है कि डेप्रिसिएशन लागत वह है, जो मौजूदा संपत्तियों के घिसने से होने वाला नुकसान है। मसलन, दिल्ली मेट्रो के कोचों की उम्र लगभग 30 से 35 साल होती है। जब उनकी आयु पूरी हो जाएगी तो नए कोच खरीदने होंगे। पुराने कोच एक वक्त आने पर कबाड़ में बेचने होंगे। तब उनकी कीमत बहुत हो चुकी होगी। इसे ही डेप्रिसएिशन कॉस्ट कहा जाता है।
किराया बढ़ोतरी पर बचाव में उतरना पड़ा मंत्री को
मेट्रो किराया बढ़ने से पैसेंजरों की संख्या में 3 लाख की कमी पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हमला बोला। बचाव में केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्यमंत्री हरदीप पुरी को आगे आना पड़ा। पुरी ने तर्क दिया है कि इससे पहले भी अक्सर यात्रियों के आंकड़े में उतार-चढ़ाव होता रहा है। इसलिए यात्रियों की संख्या में कमी को किराए से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किराए में बढ़ोतरी का फैसला किराया निर्धारण कमिटी ने किया। यह संसद के ऐक्ट के मुताबिक बनाई जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि कमिटी में हाई कोर्ट के रिटायर जज के अलावा केंद्र और दिल्ली सरकार का भी एक एक प्रतिनिधि था।
Source- https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/power-road-and-water-delhi/metro-fare-will-increase-again-on-1/1/2019/articleshow/61798901.cms?utm_source=tw&utm_medium=Twitter&utm_campaign=web