Wednesday 13 September 2017

बच्ची से रेप की जांच क्राइम ब्रांच करे- दिल्ली सरकार

बच्ची से रेप की जांच क्राइम ब्रांच करे’
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दिल्ली खबर 14/09/17
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 सरकार के पास इस मामले को लेकर बहुत गंभीर शिकायतें पहुंची हैं
• चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय ने बच्ची का नहीं किया था इलाज
• प्राथमिक जांच में सीएमओ दोषी पाए गए, उनको सस्पेंड करने के लिए एलजी को लिखेंगे
• विशेष संवाददाता, नई दिल्ली


दिल्ली सरकार ने पूर्वी दिल्ली में पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म मामले की जांच क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर किए जाने की मांग की है। दिल्ली सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि होम मिनिस्टर सत्येंद्र जैन इस मामले को क्राइम ब्रांच को सौंपे जाने की मांग करते हुए उपराज्यपाल को लेटर लिख दिया है। दरअसल सरकार के पास इस मामले को लेकर बहुत गंभीर शिकायतें पहुंची हैं। बताया गया है कि चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय ने बच्ची के इलाज को लेकर प्रोटोकॉल और गाइडलाइंस को फॉलो नहीं किया, वहीं पुलिस ने भी पैरंट्स की कंप्लेंट पर कार्रवाई करने में लापरवाही बरती है। गांधी नगर के विधायक अनिल वाजपेयी ने पीड़ित परिवार की परेशानी के बारे में मिनिस्टर को बताया। विधायक ने बताया कि पैरंट्स को बार-बार पुलिस स्टेशन बुलाया जा रहा है और बच्ची के पैरंट्स काफी परेशान हैं।

सरकार अब इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए उपराज्यपाल को लिखेगी और मांग करेगी कि इस केस की जांच जल्द से जल्द क्राइम ब्रांच को सौंपी जाए ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके। पूर्वी दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल में पांच साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले की मैजिस्ट्रेट जांच हो रही है। दिल्ली सरकार ने जांच के आदेश दिए थे और उम्मीद है कि आने वाले एक-दो दिनों में जांच रिपोर्ट आ जाएगी। उस रिपोर्ट के आधार पर सरकार कार्रवाई करेगी। दिल्ली सरकार ने विवेक विहार के एसडीएम को जांच करने की जिम्मेदारी सौंपते हुए तीन दिन में रिपोर्ट देने को कहा था। बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले चपरासी को गिरफ्तार कर लिया गया है।


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सरकार ने चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में रेप से पीड़ित बच्ची को सही इलाज नहीं करने और रेफर के दौरान एंबुलेंस नहीं देने के मामले में चीफ मेडिकल ऑफिसर (CMO) को सस्पेंड करने की सिफारिश भी की है। वहीं हॉस्पिटल के डायरेक्टर के खिलाफ सीसीएस रूल्स के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने चाचा नेहरू अस्पताल के खिलाफ मिली शिकायत के बाद प्राथमिक जांच कराने के बाद यह फैसला लिया था।

शुरुआती जांच में सीएमओ की गलती पाई गई है, उन्हें सस्पेंड करने के लिए उपराज्यपाल को लिखा गया है। बताया जाता है कि अस्पताल के लेवल पर गलतियां हुई है। सीमएओ को बच्ची को रेफर करने से पहले इलाज करना चाहिए था, उन्हें चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को इसकी सूचना देनी चाहिए थी, एंबुलेंस का इंतजाम करना भी उनकी जिम्मेदारी थी।

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